शनिवार, 25 मई 2013
मंगलवार, 8 जनवरी 2013
जिनके साथ बंदूकें चलानी हैं उनके संग क्रिकेट खेलने का क्या मजा
पाकिस्तान की करतूत पर पूरे देश में भारी गुस्सा है। हमारे कई रक्षा विशेषज्ञ बिलों से बाहर आ गए हैं। कई दलीलें दी जा रही हैं। इसके बावजूद यह कोई नहीं देख रहा कि वे क्या वजहें हैं जिनकी वजह से पाकिस्तान के हौसले इतने बढ गए हैं। देखा जाए तो इसके पीछे भारतीय सीमा रक्षक बल की बुझदिली नजर आ रही है। क्या हमारे जवानों ने चूडियां पहनी हुई थीं, जो पाकिस्तानी आए और दो जवानों का सिर काट कर ले गए। हमारे जवानों के खून की गरमी क्या खत्म हो गई है। पाकिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर से देते। दो के बदले दस के सिर क्यों नहीं काट डाले। वो हमारी सीमा में घुस सकते हैं तो क्या हम नहीं। यह मौका हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने का नहीं है। दम दिखाने का है और यह दम दिखाना होगा देश की सैन्य व राजनीतिक लीडरशप को। तैयारी करनी होगी इस्लामाबाद पर तिरंगा फहराने की। यह नहीं होता तो कम से कम अपने पूरे कश्मीनर को तो वापस ले लो। कुछ नहीं किया तो वे काट लेंगे उन सिरों को जो आज दिल्ली में झुके हुए हैं। संसद तक पहुंचने का हौसला वे दिखा चुके हैं। ऐसा करने वाले जेलों में वीआईपी बने हुए हैं। बहुत हो चुकी बातचीत। सब बंद कर दो। आना जाना खाना पीना ऐसे मुल्क के साथ जो बस दुश्मनी की ही भाषा जानता हो। जिनके साथ बंदूकें चलानी हैं उनके संग क्रिकेट खेलने का क्या मजा।
पाकिस्तान की करतूत पर पूरे देश में भारी गुस्सा है। हमारे कई रक्षा विशेषज्ञ बिलों से बाहर आ गए हैं। कई दलीलें दी जा रही हैं। इसके बावजूद यह कोई नहीं देख रहा कि वे क्या वजहें हैं जिनकी वजह से पाकिस्तान के हौसले इतने बढ गए हैं। देखा जाए तो इसके पीछे भारतीय सीमा रक्षक बल की बुझदिली नजर आ रही है। क्या हमारे जवानों ने चूडियां पहनी हुई थीं, जो पाकिस्तानी आए और दो जवानों का सिर काट कर ले गए। हमारे जवानों के खून की गरमी क्या खत्म हो गई है। पाकिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर से देते। दो के बदले दस के सिर क्यों नहीं काट डाले। वो हमारी सीमा में घुस सकते हैं तो क्या हम नहीं। यह मौका हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने का नहीं है। दम दिखाने का है और यह दम दिखाना होगा देश की सैन्य व राजनीतिक लीडरशप को। तैयारी करनी होगी इस्लामाबाद पर तिरंगा फहराने की। यह नहीं होता तो कम से कम अपने पूरे कश्मीनर को तो वापस ले लो। कुछ नहीं किया तो वे काट लेंगे उन सिरों को जो आज दिल्ली में झुके हुए हैं। संसद तक पहुंचने का हौसला वे दिखा चुके हैं। ऐसा करने वाले जेलों में वीआईपी बने हुए हैं। बहुत हो चुकी बातचीत। सब बंद कर दो। आना जाना खाना पीना ऐसे मुल्क के साथ जो बस दुश्मनी की ही भाषा जानता हो। जिनके साथ बंदूकें चलानी हैं उनके संग क्रिकेट खेलने का क्या मजा।
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